Saturday, December 12, 2020

Advantage of durood sharif // दुरूद शरीफ़ का फायदा

दुरूद शरीफ़ का फायदा

लाभ[संपादित करें]

  • वह जो मुहम्मद और उनके परिवार पर एक सलवात भेजता है, अल्लाह उसके ऊपर 10 सलवात भेजता है, उसके 10 गुनाह माफ़ कर देता है, और 10 अच्छेे कर्म उसके खाते में लिख देता है|[6]
  • दुरूद पढ़ने से बुरा वक्त समाप्त हो जाता है|
  • दुरूद पढ़ने से भूले हुए कार्य और बाते याद आ जाती है|
  • दुरूद पढ़ने वाले का क़र्ज़ जल्दी अदा हो जाता है|
  • दुरूद पढ़ने वाला मुहम्मद सल्ल्लाहु अलैहि वसल्लम का प्रिय बन जाता हैं|
  • दुरूद पढ़ने वाले का दिल दया और प्रकाश से भर जाता है।
  • सलवात भेजना नर्क की आग से बचाता है |[7]
  • सलवात के निरंतर पाठ से सभी सांसारिक और स्वर्गीय इच्छाओ की पूर्ति होती है |[8]
  • सलवात को ज़ोर से पढ़ने वाले व्यक्ति में से पाखंड ख़त्म हो जाता है|
  • मुहम्मद और उनके परिवार पर सलवात भेजना कर्मो के पैमाने पर सबसे अधिक भारवान कार्यो में से एक है|
  • दुरूद भेजना कब्र में और निर्णय दिवस पर प्रकाश के रूप में कार्य करता है|
  • सलवात भेजने वाले के दिल में अल्लाह और मुहम्मद के प्रति प्रेमभाव उत्पन हो जाता है|

What is the meaning of durood in Hindi?

दुरूद शरीफ़ (उर्दू) या सलवात (एकवचन: सलात) या अस-सलातु अलन-नबी (अरबी: الصلاة على النبي) एक विशेष अरबी वाक्यांश हैं, जिसमें इस्लाम के आखिरी पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और अहल अल-बैत (अर्थ: मुहम्मद साहब का परिवार) पर अभिवादन भेजा जाता हैं | पैगम्बर मुहम्मद साहब का उल्लेख करते समय, मुस्लिम लोगों द्वारा दुरूद शरीफ़ का उचारण करा जाता हैं |[1] संख्यात्मक रूप से दुरूद शरीफ़ की तादाद हजारों या लाखों में हैं, परन्तु प्रतेक दुरूद शरीफ़ का मूल अर्थ मुहम्मद और उनके परिवार के लिए अल्लाह तआला से आशीर्वाद और दुआ मांगना हैं 


अल्लाह कुरान के सुरह अल-एह्ज़ाब: 56 में मुसलमानों को मुहम्मद पर दुरूद भेजने का निर्देश देते हैं | इसका उपदेश कुछ इस प्रकार है:

إِنَّ ٱللَّٰهَ وَمَلَائِكَتَهُ يُصَلُّونَ عَلَىٰ ٱلنَّبِيِّ يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آَمَنُوا۟ صَلُّوا۟ عَلَيْهِ وَسَلِّمُوا۟ تَسْلِيمًا

अनुवाद: बेशक अल्लाह और उसके फ़रिश्ते दरूद भेजते हैं नबी पर। ए ईमान वालो! तुम भी उन पर दरूद भेजो और सलाम भेजो
--अल-क़ुरआन सूरत अल्लाहज़ अब:५

इसका अंग्रेजी अनुवाद निम्नलिखित है:[5]

"Allah and His Angels send blessings on the Prophet;
O you who believe! send your blessings on him, and salute him a thorough salutation"

 

Monday, November 30, 2020

DUROOD AKBAR /// दुरूद अकबर

 DUROOD AKBAR
                                 दुरूद अकबर 


































                                                     



Sunday, November 29, 2020

DROOD HAZRA /// दुरूद हज़ारा

                         DROOD HAZRA
                                                          
दुरूद हज़ारा 






                            

DURUD E HABIB //// दुरुद हबीब

                                              DURUD E HABIB
                                                           दुरुद  हबीब




ये दरूद आशिकाने रसूल सल्लाहु अलैहे व् सल्लम का खसुसि वज़ीफ़ा हे और इसके बे पनाह फुयूज़ बरकत हे इसे पर्ने वाले से अल्लाह की बेपनाह रेहमत होती   हे. और गुनाह माफ़ होते हे। भूली हुई चीज़े याद आती हे. हुज़ूर सल्लाहु अलैह व सल्लम की कुर्बत नसीब होती हे दुनिया के गमो से नजात मिलती हे आ मलनामें में कसरत से नेकिया लिखी जाती हे ये दरूद पढ़ने वाले पर अल्लाह राज़ी हो जाता हे दुरुद कब्र की रौशनी हे ये दुरुद शरीफ हुज़ूर सल्लाहु अलैहि व् सल्लम की  साफअत का सबसे बेहतरिन जरिया हे लिहाज़ा हर दुआके शुरू में और आखिर में ये दुरुद पड़ना चाहिए।  हर मजलिस के सुरुए में ये दुरुद पड़ना चाहिए सुबह शाम बल्कि हर नमाज़ के बाद ये दुरुद पड़ना चाहिए। इंशाल्लाह ! दुनिया और आख़िरत में कामयाबी हासिल होगी।      


अस्सलातु वसललामु अ लयका या रसूलल्लाह व् अला आलिका  व असहाबिका या हबीबल्लाह       

तर्जुमा ::
दुरुद व् सलाम हो आप पर अय अल्लाह्के रसूल ,और ऊपर आपकी आल और आपके सहाबा ले अय अल्लाह्के हबीब   

https://www.youtube.com/watch?v=TGaLvhHkDYc
      

Durood Sharif Ki Fazilat (Hindi)

Durood Sharif Ki Fazilat (Hindi)
कुराने करीम के भाग नंबर २२ के ४ रुकू की आयत ५६ में इर्शाद बारी तआला है :
اِنَّ اللہَ وَمَلٰٓئِکَتَہٗ یُصَلُّوۡنَ عَلَی النَّبِیِّ ؕ
یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا صَلُّوۡا عَلَیۡہِ وَ سَلِّمُوۡا تَسْلِیۡمًا ﴿۵۶﴾
अनुवाद: बेशक अल्लाह त'आला और उसके फ़रिश्ते दुरूद भेजते हैं उस गैब बताने वाले नबी (सल्ल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर ऐ ईमान वालो ! उन पर दूरुद और सलाम भेजो |

दुरूद सलाम एक ऐसी अनोखी और बे मिस्ल इबादत है जो रिज़ा ए इलाही और क़ुर्बते मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम का कारगर जरीआ है | इस मक़बूल तरीन इबादत के ज़रिए हम बारगाहे इलाही से फ़ौरी बरकात के हुसूल और दुआ की कुबूलियत की निमत से सरफराज़ हो सकते हैं |

सहाबा ए करम रदिअल्लहु अन्हुम ने भी इसी अमले खैर के ज़रिए न सिर्फ अपने महबूब आक़ा सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम का कुर्ब पाया बल्कि आप सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम की मु अत्तर सांसों से अपनी रोहों को महकाया और गरमाया | आप सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम के रूखे अनवर की तजल्लियात से ही सहाबा ए कराम ने अपने मुशामे जां को मुअत्तर किया और इस तरह उन्हें सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम से ख़ुसूसी संबंध और संगत की नि अ मत नसीब हुवी अगर गौर किया जाये तो मालूम होगा कि ज़ाते मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम सी संबंध ही नि अ मते ख़ास है जो आज हमें मुक़ाम व मर्तबा और इज्ज़त व शर्फ़ जैसी ला ज़वाल नि अ म तूं से नवाज़ सकती है |

अगर हम अल्लाह त आला के अता करदा निज़ामें इबादत पर निगाह दौडायें तो हमें कोई इबादत ऐसी नही दिखाई देती जिसकी कुबूलियत का कामिल यकीन हो जबकि दुरूद व सलाम एक ऐसी इबादत और नेक अमल है जो हर हाल में अल्लाह त आ ला की बारगाह में मक़बूल है | इसी तरह तमाम इबादात के लिए मखसूस हालत, समय, स्थान औरकार्यप्रणाली का होना जरूरी है | जबकि दुरूद सलाम को जिस हाल में और जिस जगह भी पढ़ा जाए अल्लाह उसे कुबूल फरमाता है | यही वजह है आशिक़ाने मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम अपनी तमाम तर इबादत को अल्लाह त अ ला की बारगाह में पेश करते समय अपने अव्वल व आख़िर दुरूद व सलाम का जीना सजा देते हैं ताकि अल्लाह त अ ला अपने महबूब के नाम सदके हमारी बन्दगी और इबादत को कुबूल फरमा ले |

हज़रत अबू हुरैरह रदी अल्लाहु अन्ह की रिवायत है हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम ने फ़रमाया:
वह शख्स ज़लील हुवा जिस के सामने मेरा ज़िक्र किया गया और वोह मुझ पर दुरूद नहीं भेजा |

शेरे खुदा मौला अली मुश्किलकुशा रदिअल्लहु अन्ह फरमाते हैं: हर दुवा उस वक़्त तक पर्दा ए हिजाब में रहती है जब तक हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम और आप सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम के अहले बैत पर दुरूद ना भेजा जाये |

स्पष्ट है कि किस तरह दुरूद शरीफ उम्मतीयुं के लिए बख्शिश व मगफिरत, कुबूलियते दुआ, बुलंदी ए दर्जात, और कुर्ब इलाही व कुर्बे मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम का कारण बनता है इस सिसिले में मजीद और दुरूद व सलाम के फ़ज़ाइल जानें |
दुरूद शरीफ़ गुनाहों का कफ्फारा है |
दुरूद शरीफ़ से अमल पाक होता है |
दुरूद शरीफ़ पढ़ने से दर्जात बुलंद होते है |
दुरूद शरीफ़ पढ़ने के लिए एक कीरात अज्र लिखा जाता जो कि उहद पहाड़ जितना होता है |
अल्लाह त अला के हुक्म की तामील होती है |

एक बार दुरूद शरीफ पढने वाले पर दस रहमतें नाज़िल होती है
उसके दरजात बलंद होता होते हैं |
उसके लिए दस नेकिया लिखी जाती हैं |
उस के दस गुनाह मिटाए जाते हैं |
दुआ से पहले दुरूद शरीफ पढने से दुआ की कुबूलियत का सबब है |
दुरूद शरीफ पढना नबी ए रहमत (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की शफ़ा अत का सबब है |
दुरूद शरीफ़ के जरिये अल्लाह बन्दे के ग़मों को दूर करता है |
दुरूद शरीफ तंग दस्त के लिए सदक़ा का जरिया है |
दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को पैमाने ने भर भर के सवाब मिलता है |
दुरूद शरीफ क़ज़ा ए हाजात का जरिया है |
दुरूद शरीफ अल्लाह की रहमत और फिरिश्तो की दुआ का बा इस है |
दुरूद शरीफ अपने पढ़ने वाले के लिए पाकीजगी और तहारत का बा इस है
दुरूद शरीफ पढ़ना क़ियामत के ख़तरात से निज़ात का सबब है |
दुरूद शरीफ पढ़ने से बन्दे को भूली हुवी बात याद आ जाती है |
यह अमल बन्दे को जन्नत के रस्ते पर डाल देती है |
दुरूद शरीफ पढ़ने की वजह से बंदा आसमान और ज़मीन में काबिले तारीफ हो जाता है |दुरूद शरीफ पढ़ने की वजह से बंदा आसमान और ज़मीन में काबिले तारीफ हो जाता है |
दुरूद शरीफ पढ़ने वाले को इस अमल की वजह से उसकी ज़ात, अमल, उम्र और बहतरी के असबाब में बरकत हासिल होती है |
दुरूद शरीफ पढ़ने वाले से आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मुहब्बत फ़रमाते हैं |
जो शख्श दुरूद शरीफ़ को ही अपना वजीफ़ा बना लेता है अलाह पाक उसके दुनिया और आखिरत के काम अपने ज़िम्मे ले लेता है |
दुरूद शरीफ़ पढ़ने का सवाब गुलाम आजाद करने से भी अफज़ल है |

DROOD E TAJ