दुरुद हबीब
ये दरूद आशिकाने रसूल सल्लाहु अलैहे व् सल्लम का खसुसि वज़ीफ़ा हे और इसके बे पनाह फुयूज़ बरकत हे इसे पर्ने वाले से अल्लाह की बेपनाह रेहमत होती हे. और गुनाह माफ़ होते हे। भूली हुई चीज़े याद आती हे. हुज़ूर सल्लाहु अलैह व सल्लम की कुर्बत नसीब होती हे दुनिया के गमो से नजात मिलती हे आ मलनामें में कसरत से नेकिया लिखी जाती हे ये दरूद पढ़ने वाले पर अल्लाह राज़ी हो जाता हे दुरुद कब्र की रौशनी हे ये दुरुद शरीफ हुज़ूर सल्लाहु अलैहि व् सल्लम की साफअत का सबसे बेहतरिन जरिया हे लिहाज़ा हर दुआके शुरू में और आखिर में ये दुरुद पड़ना चाहिए। हर मजलिस के सुरुए में ये दुरुद पड़ना चाहिए सुबह शाम बल्कि हर नमाज़ के बाद ये दुरुद पड़ना चाहिए। इंशाल्लाह ! दुनिया और आख़िरत में कामयाबी हासिल होगी।
अस्सलातु वसललामु अ लयका या रसूलल्लाह व् अला आलिका व असहाबिका या हबीबल्लाह
तर्जुमा ::
दुरुद व् सलाम हो आप पर अय अल्लाह्के रसूल ,और ऊपर आपकी आल और आपके सहाबा ले अय अल्लाह्के हबीब
https://www.youtube.com/watch?v=TGaLvhHkDYc
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