1मिनट में अरबों दुरूद शरीफ पढ़ने का सवाब .
90 करोड़ अरब दुरूद पढ़ने का सवाब !*
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम *
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन नबिय्यल उम्मीय्ये अ-द-दन नबातिल अरदे मिन किब्ल तेहा व शरकेहा व गरबेहा व सहलेहा व जिबालेहा व औदियतेहा व अशजारेहा व अस्मारेहा व औराकेहा व जरूऐहा व जमीअे मा यख़रूजो मिन्नबातेहा व ब-र कातेहा मिय यौमिन ख-ल कतद दुन्या ईला यौमिल केयामते फी कुल्ले यौमिन अल्फ मर्रा.(दलाईलुल खैरात)
85 करोड़ दुरूद पढ़ने का सवाब ! *
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम *
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन अ-द-द कुल्ले शाअरतिन फी अब्दानेहिम वफी वजूहेहिम व अला रोउसेहिम मुन्जो ख-ल-कतद दुन्या ईला यौमिल केयामते फी कुल्ले यौमिन अल्फ मर्रा. (दलाईलुल खैरात)
80 करोड़ दुरूद पढ़ने का सवाब ! *
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम *
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन अ-द-दर्रमले वल हसा फी मुस्तकर्रिल-अरदिन व सहलेहा व जिबालेहा मियं यौमे ख-ल-कतद दुन्या ईला यौमिल-केयामते फी कुल्ले यौमिन अल्फ मर्रा.(दलाईलुल खैरात)
78 करोड़ दुरूद पढ़ने का सवाब ! *
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम *
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन अ-द-द कुल्ले कतर तीन क-त-रत मिन समावाते-क ईला अरदेका मियं यौमे ख-ल-कतद दुन्या ईला यौमिल केयामते फी कुल्ले यौमिन अल्फ मर्रा.(दलाईलुल खैरात)
सुब्हा-शाम पढ़ने से रोजी में बरकत होगी ,
कर्ज से छुटकारा मिलेगा और तो और हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की शफाअत नसीब होगी और ईमान के साथ मरेगा।
जिन औक़ात में दुरूदो सलाम पढ़ने की ताकीद या वज़ाहत है उनमें से कुछ ये हैं।
पांचों वक्त नमाज़ों के बाद , अज़ान के बाद , अक़ामते नमाज़ के वक्त , मस्जिद में दाखिल होने के वक्त , मस्जिद से बाहर आने के वक्त , वुजू करते वक्त , दुआ से पहले , बीच में और आखिर में , आसारे मुतवर्रक नबीए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की ज़ियारत के वक्त,जुम्मा की रात और दिन , सुबह और शाम के वक्त , पीर की रात , नबीए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का नाम मुबारक कहने और लिख़ने के वक्त , घर में दाखिल होते वक्त , किसी चिज के भूल जाने के वक्त , मुसीबत के वक्त ॥
जिन औक़ात में दुरूदो सलाम न पढ़ा जाए वो ये हैं ?
फर्ज़ वाजिब और सुन्नते मुअक्किदा के क़अदा ऊला में अत्तह़ीयात के बाद , ज़ब्ह के वक्त , छींक आते वक्त , ताजिर सौदा बेचते वक्त , तअज्जुब के वक्त , जिमाअ के वक्त , इन्शानी ह़ाजत के वक्त , और नजिस मक़ाम पर ॥ दुरूद हलल मुश्किलात :
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं जो शख्स मेरे नाम के साथ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम लिखता है जब तक उस किताब में मेरा नाम मौजूद रहेगा फ़रिशते उसके गुनाहों की मुआफ़ी और रहमत की दुआ करते रहेंगे। नाम से मुराद दुरूद भी हैं।पढ़ो। मोहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम
में कितनी दुरूदे लिखी हुई। अगर सवाब और नेकियों से मालामाल होना चाहते हो तो सेयर करना मत भूलना।
बराए इसाले सवाब share.. करने वाला
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